इस निरूपण में मान लिया जाता है कि प्रत्येक संयोजी इलेक्ट्रॉन जालीय व्यवस्था में स्वतंत्र रूप से विचरण करता है।
2.
प्रत्येक परमागु का चौथा संयोजी इलेक्ट्रॉन अलग परतों के मध्य उपस्थित होता है और यह गमन के लिए मुक्त होता है ।
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प्रत्येक परमागु का चौथा संयोजी इलेक्ट्रॉन अलग परतों के मध्य उपस्थित होता है और यह गमन के लिए मुक्त होता है ।
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मुक्त इलेक्ट्रॉन संनिकटन-इस निरूपण में मान लिया जाता है कि प्रत्येक संयोजी इलेक्ट्रॉन जालीय व्यवस्था में स्वतंत्र रूप से विचरण करता है।
5.
आयनीकरण अणु या परमाणु में से संयोजी इलेक्ट्रॉन बाहर निकल जाता है और अणु या परमाणु के स्थान पर धन आयन रह जाता है, जैसे
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2. मुक्त इलेक्ट्रॉन संनिकटन-इस निरूपण में मान लिया जाता है कि प्रत्येक संयोजी इलेक्ट्रॉन जालीय व्यवस्था में स्वतंत्र रूप से विचरण करता है।
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५. आयनीकरण अणु या परमाणु में से संयोजी इलेक्ट्रॉन बाहर निकल जाता है और अणु या परमाणु के स्थान पर धन आयन रह जाता है, जैसे
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2. मुक्त इलेक्ट्रॉन संनिकटन-इस निरूपण में मान लिया जाता है कि प्रत्येक संयोजी इलेक्ट्रॉन जालीय व्यवस्था में स्वतंत्र रूप से विचरण करता है।
9.
सन् १९३० के उपरांत जब संयोजी इलेक्ट्रॉन के आचरण के निर्धारण के लिए क्वांटम यांत्रिकी को प्रयुक्त किया गया तो उन्हीं दिनों ठोस अवस्था के सिद्धांत में भी विशेष प्रगति हुई।
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सन् 1930 के उपरांत जब संयोजी इलेक्ट्रॉन के आचरण के निर्धारण के लिए क्वांटम यांत्रिकी को प्रयुक्त किया गया तो उन्हीं दिनों ठोस अवस्था के सिद्धांत में भी विशेष प्रगति हुई।